
इस संग्रह के बारे में:
यह संग्रह आपको भापके आसवन पद्धति के माध्यम से कुशलतापूर्वक तैयार की गई इत्र कला की पीढ़ियों के करीब लाता है।
देग और भापका आसवन के बारे में:
कन्नौज में स्थित, "भारत की इत्र राजधानी" में, इन इत्रों को पारंपरिक "देग और भापका" तकनीक का उपयोग करके निकाला जाता है, जिसमें गुलाब और चमेली जैसे फूलों का प्रामाणिक सार होता है, जिसे चंदन या अन्य वाहक तेलों के साथ आसवित किया जाता है। इस सुगंधित स्वर्ग में, आसवक देग, भापका और चोंगा जैसे विशेष उपकरणों का उपयोग करते हैं, जो एक ऐसी परंपरा को कायम रखते हैं जो समय की कसौटी पर खरी उतरी है। यहाँ, सदियों पुरानी भट्टियों और बांस के कंडेनसरों के बीच, इत्र बनाने की सच्ची भावना सामने आती है, जो हमें इत्र शिल्प कौशल के दिल से जोड़ती है।